शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

फिल्म अनुभव-भाग मिल्खा भाग

फिल्म अनुभव -भाग मिल्खा भाग

जब से फिल्म देख कर आया हूँ ,जी कर रहा है ,बस
भागता जाऊं ,भागता जाऊं।
फरहान अख्तर के बेहतरीन अभिनय से सजी यह
फिल्म दर्शकों के मन में अमिटछाप छोड़ने में सफल
रहती है।किसी भी डाइरेक्टर के लिए किसी प्रसिद्ध
व्यक्ति को पर्दे पर उतारना हमेशा चुनौतीपूर्ण
होता है।, और बहुत हद तक राकेश ओम प्रकाश
मेहरा इसमें सफल भी हुए हैं।कहीं कहीं फिल्म के दृश्य
बेवजह लम्बे नज़र आते हैं,ये इस फिल्म का सबसे
कमजोर पहलु है। फिल्म थोड़ी और
छोटी हो सकती थी। निर्देशक कई दृश्य को हटाने
का मोह नहीं त्याग पाए। खैर ,यह बेहतरीन मौका है
"फ़्लाइंग सिख "मिल्खा सिंह के बारे में जानने का।
फरहान अख्तर की मेहनत देखते बनती है। पूरे फिल्म
में वे भी अपने कसे हुए सुडौल शरीर के साथ दौड़ते
नज़र आये हैं।पर जितने तेजी से वे दौड़ते हैं,फिल्म
उतनी तेजी से नहीं दौड़ पाती। फिल्म
की सिनेमेटोग्राफी बेजोड़ है।
पानी की उड़ती बूंदों ,फरहान अख्तर के पैर
की उडती धूल देखते बनते हैं।
सभी कलाकारों का अभिनय बेजोड़ है,खासकर
दिव्या दत्ता का अभिनय सराहनीय है। सोनम कपूर के
लिए इस फिल्म में करने के लिए ज्यादा कुछ
था नहीं,इसलिए उन्होंने भी ज्यादा कुछ करने
की जरूरत नहीं समझी।फिल्म का संगीत औसत है ,कई
गाने नहीं भी होते तो फिल्म को कोई नुक्सान
नहीं पहुँचता।खैर,फिर भी राहुल इस फिल्म को फरहान
अख्तर की बेजोड़ अभिनय के लिए पांच में से देता है
साढ़े तीन स्टार।
अगर आप जज्बे से लैस हैं,और कड़े परिश्रम
की अहमियत समझते हैं,तो भाग दर्शक
भाग ,नजदीकी सिनेमा हॉल तक।

1 टिप्पणी:

  1. मतलब फिल्म देखनी ही पड़ेगी। एक सुझाव है फोटो लगाते वक़्त उसके आकार पर गौर कर लिया कीजिये...

    जवाब देंहटाएं