शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

                          अलग तरह की फिल्म है हैदर 

भारतीय फिल्म भी अजीब मोड़ पर आ खड़ा हुआ है. एक तरफ जहाँ किक ,सिंघम जैसे मुख्य धारा की मनोरंजक फ़िल्में सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर लेती है.वहीँ दूसरी तरफ हैदर जैसी फिल्मे भी यहाँ है जो बहुत सारी तारीफों के साथ अच्छे खासे पैसे भी बटोर ले जाती है.हैदर को कला फिल्मों की श्रेणी में तो नहीं रख सकते परन्तु यह मुख्य धारा की फिल्मों से  काफी अलग है.फिल्म सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर पायेगी ,ये कहना मुश्किल है.लेकिन फिल्म समीक्षकों ने काफी दिनों बाद किसी फिल्म की इतनी तारीफ़ की है.तारीफ़ करना बनता भी है ,क्यों कि फिल्म शुरुवात से ही दर्शकों के बीच जबरदस्त पकड़ बना के चलती है.शेक्सपियर के हेमलेट से प्रेरित यह फिल्म विशाल भारद्वाज के बेहतरीन निर्देशन को साबित करती है.शाहिद कपूर काफी दिनों बाद अच्छे लगे हैं.यूं तो उनमे बेहतरीन अभिनय क्षमता है.पर खराब फिल्मों के चयन से उनकी फिल्म लगातार पिट रही थी.कुछ समय पहले विशाल भरद्वाज की हीं कमीने में उनके काम की काफी तारीफ़ हुई थी.कई बार ऐसा होता है कि कई निर्देशक कुछ ख़ास तरह के अभिनेता से बेहतर काम करा लेते हैं.फिर वही अभिनेता किसी और फिल्म में औसत लगने लगता है.ये कुछ इस तरह है कि "जौहरी को ही हीरे की पहचान होती है.खैर ये तो बात हो गयी फिल्म के मुख्य अभिनेता की ,बांकी तब्बू ,के.के.मेनन ,श्रद्धा कपूर ने भी बेजोड़ अभिनय किया है.तब्बू ने भी दिखा दिया है कि वे क्यों अलग जोनर की फिल्मों की बादशाह मानी जाती है.के.के. मेनन जैसे अभिनेता हमेशा अपनी छाप छोड़ने में सफल होते हैं,इस फिल्म में भी ऐसा ही हुआ है.श्रद्धा कपूर अभी नयी हैं,इसके बावजूद उन्होंने अच्छा अभिनय किया है.इरफ़ान खान हमेशा की तरह अपने छोटे से रोल में प्रभावी दिखें हैं.
                    फिल्म की कहानी कहीं कहीं सुस्त हो जाती है.अंतिम आधा घंटा ऐसा लगता है कि फिल्म को जबरदस्ती खिंचा गया है.इसके बावजूद फिल्म में गजब का आकर्षण है.यह ऐसा आकर्षण है जिससे आप फिल्म देखने के बाद बहुत दिनों तक मुक्त नहीं हो पाएंगे.काफी दिनों बाद ऐसी फिल्म आयी है ,जो सोशल मीडिया से लेकर लोगों की जुबान तक चर्चा का विषय है.फिल्म में कश्मीर के हालात को बखूबी दिखाया गया है.वहां के आम आदमी आये दिन कैसी दिक्कतों का सामना कर रहें हैं,सेना और आम आदमियों के बीच की खिंचा तानी को भी बखूबी दिखाया गया है.कश्मीर के मनमोहक दृश्य इस फिल्म को और भी खूबसूरत बनाते हैं.फिल्म का संगीत भले ही उतना प्रभावी नहीं है ,परन्तु फिल्म के साथ गाने जम जाते हैं.फिल्म की लोकेशन ,लाइटिंग ,दृश्य सज्जा भी अच्छी है.रही बात फिल्म की कहानी की ,तो ये हेमलेट से प्रेरित जरुर है,परन्तु निर्देशक ने इसमें फिल्म के हिसाब से जरूरी फेर बदल भी किये हैं.
                                                                          खैर ,ऐसी बेहतरीन फिल्म बनाने और उसमे कलाकारों से बेहतरीन अभिनय करवाने के लिये विशाल भारद्वाज धन्यवाद के पात्र हैं.कुछ ही गिने चुने निर्देशक हैं,जो फिल्म के नाम पर सिर्फ फिल्म बनाते हैं,बांकी तो आपको पता हीं है.