मंगलवार, 19 अगस्त 2014

"हमारे कृष्ण "

                             ----- हमारे कृष्ण ----
“अम्मा-अम्मा” -  सोहन ,राजू और विशाल  मेरे साथ नहीं खेलता है .कहता है तुम दूसरी जाति के हो .राजू कहता है कि उसके पापा ने बताया है कि मुस्लिम बहुत गंदे होते हैं,वे हर काम उल्टा करते हैं. बारह वर्ष के जीशान ने शिकायत भाव से अपनी माँ को ये बात बताई . जीशान अपनी माँ से ये भी कहता है कि मै उनसे अच्छा क्रिकेट खेलता हूँ, उसने अपनी माँ से मासूमियत बड़े भाव से कहा कि अगर हम गंदे हैं तो मेरा छक्का सबसे दूर क्यों जाता है. जीशान की माँ ने बड़े ही प्यार से अपने बेटे को गले लगाया और कहा मेरा बेटा गन्दा नहीं है. वो दुनिया का सबसे अच्छा लड़का है,जो लोग तुम्हारे साथ नहीं खेलते ,वो गंदे हैं. वो चाह कर भी जीशान को ज्यादा कुछ न समझा सकी 


                                   जीशान जिस सरकारी स्कुल में पढता था ,वहीँ उसके साथ प्रिया   भी पढाई करती था.प्रिया और जीशान अच्छे दोस्त थे.प्रिया को छोड़कर जीशान के टिफ़िन को कोई हाथ भी नहीं लगाता था. प्रिया को जीशान के माँ के हाथ की बनी सवईयाँ बहुत पसंद थी .वो बड़े ही चाव से सवई और रोटी खाती थी. प्रिया के माता पिता को ,प्रिया के साथ जीशान की दोस्ती फूटी आँख नहीं सुहाती थी. जीशान जब भी प्रिया के घर जाता, उसकी माँ नाक-मुंह सिकुड़ के कमरे से बाहर चली जाती थी .प्रिया कई बार अपनी माँ से ये पूछती कि जीशान के हमारे घर आते ही तुम क्यों ऐसा व्यवहार करती हो .जीशान की मम्मी तो बहुत अच्छी है,वो मुझसे प्यार से बातें करती है और सवईयाँ भी खिलाती है. ये सुनती ही प्रिया की माँ उसे जोड़ से डांटती और कहती ,चले जाओ उसी मुस्लिम के पास. फिर प्रिया माँ को चिढ़ाने के लिये जोड़ से कहती ,हाँ हाँ तुम देखना मै,सच में चली जाउंगी उस मुस्लिम के पास.
                                    
                                   ''जीशान को हिन्दू पर्व-त्यौहार बहुत पसंद थे. खासकर जन्माष्टमी, जन्माष्टमी के अवसर पर बच्चों को कृष्ण बना देख, उसका मन भी कृष्ण बनने को करता था. प्रिया के पिता एक कृष्ण मन्दिर के ट्रस्ट मेंबर थे. इस बार उस कृष्ण मन्दिर में जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण जन्म महोत्सव का आयोजन था. प्रिया के पिता रामलाल को एक 10-12 साल के एक बच्चे की तलाश थी, जो कृष्ण बनकर नृत्य कर सके .इसलिये उसे किसी श्यामले और मासूम बच्चे की तलाश थी. पहले तो उसने ट्रस्ट से जुड़े लोगो के बच्चे को ही आजमाया ,पर बात नहीं बनी. अगले दिन प्रिया जब स्कूल गयी तो उसने जीशान को ये बात बताई. जीशान ख़ुशी से झूम उठा, उसने कहा मै बनूंगा कृष्ण ,तुम अपने पापा को जल्दी से बताना कि जीशान ही कृष्ण बनेगा. फिर तुरंत उसने कुछ सोचा और हतोत्साहित होते हुए कहा ,पर मैं ,मैं तो मुस्लिम हूँ. और वैसे भी तुम्हारे मम्मी पापा तो मुझे पसंद भी नहीं करते. मै नहीं बन सकता कृष्ण . प्रिया ने बड़े ही भोलेपन से कहा, तो क्या हुआ, तुम बिलकुल कृष्ण जैसे दिखते हो और फिर तुम क्रिकेट भी तो अच्छा खेलते हो.इसलिये तुम हीं बनोगे “हमारे कृष्ण” .


                             प्रिया ने जब ये बात अपने पापा को बताई तो एक क्षण के लिये उसके पापा ने सोचा और कहा ,हाँ बेटी, तुम ठीक कह रही हो. जीशान तो बिलकुल कृष्ण जैसा ही लगता है. फिर वो कुछ देर ठहरे और कहा,-नहीं-नहीं, एक मुस्लिम कैसे कृष्ण बन सकता है .और सिर्फ कृष्ण की तरह दिखने से क्या होगा ,वो हमारी बिरादरी का भी नहीं है और फिर मंदिर ट्रस्ट वाले तो ये कभी नहीं मानेंगे कि एक मुस्लिम के कदम हमारे मंदिर में पड़े. नहीं, ये नहीं हो सकता. वैसे भी उसका भगवान हमसे अलग है, वो हमारे भगवान का रोल क्यों अदा करे भला. प्रिया के पापा ने इतना कहा, और वहां से चलते बने. प्रिया को ये समझ ही नहीं आया कि जब जीशान भी मेरे तरह ही पढता है,खेलता है और बातें करता है तो वह हमसे अलग कैसे हुआ ? और तो और वह कृष्ण की तरह ही दीखता भी तो है, फिर उसका भगवान हमसें अलग क्यों है ?


                              अगले दिन जब वह स्कुल गयी और जीशान को ये बात बताई की चूँकि तुम मुस्लिम हो और तुम्हारा भगवान भी हमसे अलग है .इसलिये तुम कृष्ण नहीं बन सकते. जीशान निराश हो गया, उसे समझ नहीं आया कि मुस्लिम होने में बुराई क्या है? मै कृष्ण क्यों नहीं बन सकता, मेरा भगवान अलग क्यों है ? प्रिया और जीशान दोनों निराश हो गये. फिर प्रिया ने जीशान से कहा ,क्यों न हम जन्माष्टमी के दिन राधा – कृष्ण की तरह बन जाए.हमारे पास जितनी भी पैसे गुल्लक में पड़े हैं,उससे हम राधा और कृष्ण के गेट अप के कपडे खरीदे और पूरे दिन ऐसे ही रहे .जीशान को ये आइडिया बेहद पसंद आया ,आखिर कृष्ण बनने की उसकी हसरत जी पूरी हो रही थी.दोनों ने अपने बचत में से कृष्ण - राधा की ड्रेस खरीदी और जन्माष्टमी के दिन पहन कर आस पास के मोहल्ले में घुमने लगे. दोनों की जोड़ी सच में जन्म-जन्मान्तर तक एक दूसरे के प्रेम में बंधे कृष्ण-राधा की तरह ही लग रही थी. परन्तु ये बात जैसे ही प्रिया के मम्मी पापा को पता चली ,तो उनदोनों ने प्रिया की बहुत पिटाई लगाई. प्रिया के पापा ने कहा अगर बनाना ही था तो कृष्ण बनते ,राधा क्यों बनी. प्रिया ने बड़ी ही ऊँची आवाज में कहा ,”राधा भी तो भगवान है न पापा.”  और अगले दिन ही प्रिया के पिता ने उसका नाम उस सरकारी विद्यालय से कटवा दिया. अब प्रिया और जीशान दोनों अलग अलग स्कूल में पढ़ते थे. इसके बावजूद, वे जब भी मिलते तो वो राधा कृष्ण वाला प्रेम उभर कर सामने आता, जिस प्रेम न ही कोई बंधन हैं और न ही कोई रोक टोक,जो प्रेम समाज की सारी मान्यता और झूठी परम्पराओं को ठेंगा दिखाता है.
धन्यवाद
राहुल आनंद .