एक होनहार क्रिकेटर का अंत .........
25 नवम्बर को अचानक पूरा क्रिकेट जगत सकते में आ गया ,जब फिलिप ह्युज के सर में बाउंसर से चोट लगने और उसके बाद मुंह के बल पिच पर गिरने की खबर आई. उस समय सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में मौजूद खिलाडी और दर्शक ने ये कभी नहीं सोचा होगा की अगले दो दिन के बाद इस होनहार क्रिकेटर की मौत हो जाएगी.ह्युज चोट लगने के समय स्थानीय शैफील्ड शील्ड मैच खेल रहें थे.इस प्रतिभाशाली क्रिकेटर के मौत के बाद बांकी क्रिकेटरों के सामने अब खेल के समय सुरक्षा का प्रश्न अहम हो गया है. क्रिकेटर खासकर बल्लेबाज खेलते समय सुरक्षा के अत्याधुनिक साजो - समान लगाते हैं,उसके बाद भी इस तरह की मौतें काफी सवाल पैदा करती हैं.ह्युज की मौत सर में चोट लगने के वक्त उस समय हुई ,जब उन्होंने अपने सर में हेलमेट लगाया हुआ था.इससे आने वाले क्रिकेटरों में यह सन्देश गया है कि कोई भी क्रिकेटर अब सुरक्षित नहीं है.जेंटल मैन गेम के खिलाडियों के मन में डर का यह भाव खेल के लिहाज से कतई सही नहीं है.
ऐसा नहीं है कि ह्युज की मौत मैदान में चोट लगने से होने वाली पहली मौत है.इसके पहले भी भारत के होनहार क्रिकेटर रमन लाम्बा का निधन फरवरी 1998 में बांग्लादेश सीरीज में अभ्यास मैच के दौरान फील्डिंग करते समत सर में चोट लगने की वजह से हुई थी.पकिस्तान के सत्रह वर्षीय क्रिकेटर अब्दुल अजाज़ की मौत भी एक स्थानीय क्रिकेट मैच के दौरान सीने में चोट लगने से हुई थी.इससे पहले न्यूजीलेंड के एवेन चेट फिल्ड ,भारत के नारी कांट्रेक्टर ,दक्षिण अफ्रीका के मार्क बाउचर भी चोट लगने के कारण काफी गंभीर रूप से घायल हो चूके हैं. क्रिकेट में चोट लगने की घटना क्रिकेट के शुरुवात के साथ ही शुरू हो गयी थी.क्रिकेट के शुरुवाती दिनों में बेट्समैन बिना किसी सुरक्षा के ही खेलते थे.हालांकि कुछ दिनों बाद खिलाडी पैड लगाने लगे थे,लेकिन हेलमेट पहनने की शुरुवात काफी बाद में हुई.वो भी उस दौर में जब वेस्ट इंडीज के खतरनाक गंद्बजों का बोल बाला था.बिना हेलमेट पहने खिलाडी के पास से जब सन्न आवाज करते हुए गेंद गुजरती होगी ,उस समय उनकी अवस्था का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
आज के अत्याधुनिक क्रिकेट में तमाम सुविधाएँ होने के बावजूद ह्युज की मौत काफी चिंताजनक है.कई विशेषज्ञों का कहना है कि हेलमेट के बनावट में पर्याप्त सुधार की जरूरत है ,कई विशेषज्ञों का कहना है की क्रिकेट में बाउंसर गेंद को हमेशा के लिये प्रतिबंधित कर देना चाहिए.लेकिन आज के 20-20 क्रिकेट के दौर में वैसे भी गेंदबाजों की धुनाई से क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल बन गया है.ऐसे में अगर बाउंसर को प्रतिबंधित कर दिया गया तो गेंदबाजों के रहे सहे हौसले भी पस्त हो जायेंगे.लेकिन क्या इस तरह के मौतों को अस्वाभाविक या अकस्मात मौत का मामला को मानते हुए ऐसे ही भुला दिया जाना ठीक होगा ? सवाल कई हैं .खासकर के तब जब क्रिकेटर फिलिप ह्युज जैसा होनहार खिलाडी हो,जो हो सकता था आने वाले समय में विश्व क्रिकेट को एक नई ऊंचाई पर ले जाता .साधारण किसान परिवार में जन्मे ह्युज ने कम समय में ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दिया था.ह्युज दुनिया के ऐसी पहले सबसे कम उम्र के खिलाडी थे,जिन्होंने टेस्ट के दोनों पारियों में शतक बनाया . वह ऑस्ट्रेलिया के भी पहले क्रिकेटर थे जिन्होंने अपने वनडे के पहले मैच में ही शतक लगाया.पूरा विश्व क्रिकेट इस घटना के बाद गहरे सदमे में चला गया है.एक ऐसे होनहार और जुझारू खिलाडी की मौत हमेशा क्रिकेट और उसके प्रशंसक को खलती रहेगी.अलविदा फिलिप ह्युज .......
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