शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

एक अधूरी प्रेम कहानी .............


          
 हेलो  ,मै विपिन बोल रहा हूँ..  25 अगस्त की रात ग्यारह बजे मेरे दोस्त का फ़ोन आया जो काफी परेशान लग रहा था . उसने बताया की वह कॉलेज के काम से मधेपुरा(बिहार का एक जिला) गया हुआ था ,पर उसका काम नहीं हो पाया ,जिस वजह से उसे कटिहार स्टेशन पर रात गुजारनी पड़ेगी . मैंने उसे पास के किसी परिचित के पास जाने की सलाह दी  , पर उसने साफ़ मना कर दिया .विपिन ने कहा उसे कल सुबह जल्दी ट्रेन पकड़कर घर जाना है और उसने फ़ोन रख दिया . उस समय मुझे ये नही पता था की यह विपिन से मेरी आखिरी बातचीत थी .अगली सुबह 8:30 बजे गाँव के ही एक दोस्त ने फ़ोन कर के  बताया की घर आने के दौरान टेम्पू पलटने से  विपिन की दुर्घटना हो गयी है .उस समय भी मै चाहता तो विपिन से बात कर सकता था ,लेकिन मैंने सोचा उसे आराम करने दिया जाये और मैंने विपिन से बात नही की . 11:30 बजे फिर से फ़ोन आया की मेरा सबसे अच्छा दोस्त अब इस दुनिया में नही रहा .
                                    उस समय मेरे आई .आई .एम .सी. में आये हुआ करीब एक महीने हीं हुए थे .मै पूरी तरह टूट चूका था .मेरा एक बार मन किया की मै  सबकुछ छोड़ के दिल्ली से  घर चला जाऊं पर उसी की कही बातों को याद करके मै यहाँ रुक गया और अपनी पढाई जारी रखी. विपिन सामान्य कद-काठी का बेहद हीं अनुशासित लड़का था . वह बहुत ही साफ़ दिल का लड़का था .मुझे यहाँ बार –बार था लिखने में काफी बुरा लग रहा है , क्योंकि ये विश्वास करना अभी भी मुश्किल है की विपिन अब इस दुनिया में नही है .
                              विपिन की जिंदगी में दो व्यक्ति काफी महत्वपूर्ण थे .एक खुद मै और दूसरा उसकी प्रेमिका संगीता(बदला हुआ नाम). संगीता मेरे छोटे भाई के दोस्त पंकज की बहन थी. हालांकि पंकज भी मेरा अच्छा दोस्त था . पंकज और विपिन दोनों पटना में रहते थे और एक ही गाँव के होने के कारण दोनों में अच्छी  जान –पहचान भी थी. अक्सर विपिन जब भी घर जाता तो पंकज उसे घर से कुछ लेना को कह देता था. इसी क्रम में विपिन और संगीता दोनों पास आ गये और दोनों में प्यार हो गया . परन्तु इस प्यार का सबसे बुरा असर मुझपे पड़ा . विपिन और पंकज दोनों अब एक दूसरे के दुश्मन बन गये . जब भी मै दोनों में से किसी एक के पास जाता तो कोई एक नाराज हो जाता .मुझे काफी दुविधा का सामना करना पड़ता था ,परन्तु विपिन मेरे दिल के काफी करीब था और मै उसी के पास ज्यादा समय बिताता था.
                           एक दिन मै विपिन के पास गया , उसने मुझे बताया की उसे संगीता से प्यार हो गया है और वह उसके बिना नहीं जी सकता है .मुझे बहुत आश्चर्य हुआ  की ये सब इतनी जल्दी कैसे हो गया?? पर जब मैंने विपिन के साथ काफी वक़्त बिताया तो मुझे अहसास हो गया की ये दोनों सच में एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं . वो दोनों फ़ोन पर  घंटो बात करते थे ,हालांकि जब मै विपिन के पास होता  था तो वो संगीता से बात करने से बचता था.  मै जब भी उनदोनो को बात करते हुए देखता था तो मुझे बहुत खुशी मिलती थी, वो ऐसी खुशी थी जिसे  शायद शब्दों में बयाँ कर पाना काफी मुश्किल है . दिन बीतते गए और उनदोनो में प्यार काफी गहराता गया . धीरे –धीरे ये बात हमारे गाँव में फैलती चली गयी .आगे वही हुआ जो अमूमन हमारे  सभ्य समाज में होता है . दोनों तरफों से एक दूसरे पर छींटा-कसीं  का खेल शुरू हो गया . फिर उनदोनो ने गाँव में मिलना जुलना साफ़ बंद कर दिया, अब सिर्फ उनदोनो में फ़ोन पर बातें होती थी .
                                         कुछ दिन पहले जब छुट्टियों में मै विपिन के पास गया तो देखा विपिन अब काफी बदल गया है ,वह अब सरकारी नौकरी पाने के लिए जी-तोड़  परिश्रम कर रहा है .मैंने जब विपिन से इसके बारे में पूछा तो उसने बताया की संगीता के घर वाले संगीता पर शादी का दबाव बढ़ा रहे हैं ,इसलिए वह चाहता है की जल्दी से सरकारी नौकरी करके संगीता से शादी कर ले .विपिन ने बताया की अब मै संगीता से बहुत कम बात करता हूँ ताकि अपना पूरा ध्यान पढाई मे लगा सकूं . मैंने सच में नोटिस किया की अब संगीता भी काफी कम बात करती थी .  उनलोगों ने बकायदा अपनी बातचीत का समय निश्चित कर रखा था .मैंने पाया की संगीता  तय किये गये समय में ही विपिन को फ़ोन करती थी .न एक मिनट आगे न एक मिनट पीछे . 
                                      मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा  था क्या सचमुच प्यार ऐसा हो सकता है की एक आदमी की पूरी जिन्दगी हीं बदल के रख दे??? क्या सचमुच प्यार हमारे लिए  प्रेरणास्रोत का काम कर सकता है ??? कल तक जो लड़का पढाई से कोसों दूर भागता था आज वो इतनी पढाई कर  रहा है की उसके हॉस्टल में रहने वाले हर लड़का चकित हैं .कल तक जो लड़का ठीक से इंग्लिश अखबार नही  पढ़ पाता था , आज वो मुझसे धरल्ले से इंग्लिश में बात कर रहा था .मैंने प्यार में लड़के –लड़कियों को बिगड़ते हुआ देखा था . पढाई –पैसा सबकुछ बर्बाद करते देखा था .खुद मेरा अनुभव इस मामले में हमेशा  खराब रहा था. परन्तु मैंने ऐसा प्यार पहली बार देखा था जो सचमुच जीवन में आगे बढ़ने ,कुछ करने की प्रेरणा देती हो .

                                   आई.आई.एम.सी. में आने के बाद विपिन से मेरी बातचीत कम ही हो पाती थी ,पर जब भी बात होती थी तो मै उससे संगीता के बारे में पूछता था. एक दिन विपिन ने मुझसे कहा की वह मेरे पास कुछ दिन के लिए आना चाहता है और इस बात के ठीक १० दिन बाद विपिन चल बसा .जैसे हीं मेरे दोस्त ने विपिन की मौत की खबर मुझे दी थी ,मेरे मन में सबसे पहले यही ख्याल आया की अब संगीता का क्या होगा ??? जिस लड़की ने विपिन को अपना सबकुछ मान लिया था ,वह अब उसके बिना कैसे रहेगी ??मेरे  भाई ने मुझे फ़ोन कर के बताया था की संगीता के घर के पास से बहुत जोर से रोने और चिल्लाने की आवाज आ रही थी ,बाद में पता चला की वह आवाज संगीता की थी .मैंने तुरंत हीं पंकज को फ़ोन किया और कहा  की जो भी गिले-शिकवे तुम्हे विपिन को लेकर थे उसे भुलाओ,और अपनी बहन को संभालो . अन्यथा वो कुछ भी अनुचित कदम उठा सकती है .उसने मुझे आश्वासन भी दिया और उचित कदम उठाने की बात कही . कुछ दिन बाद पता चला की संगीता के मम्मी-पापा संगीता को उसके नानी घर ले गये हैं और उसके बाद संगीता का कुछ पता नही चल पाया है . पंकज से पूछने पर वह मुझे इतना ही बताता है की उसकी बहन जहाँ भी है अच्छी है .पर ये मै अच्छी तरह  समझ सकता हूँ कि संगिता विपिन के बिना कैसे  जी रही होगी.
                                      मैंने एक बार विपिन से पूछा था की तुम्हारा नाम तो विपिन कुमार है ,फिर भी तुम हमेशा हर जगह विपिन आनंद क्यों लिखते हो ??? उसने कहा क्युंकी तुम्हारा नाम राहुल आनंद है इसलिए मै अपने नाम के अंत मे आनंद लगाना पसंद करता हूँ .जब भी  मुझे ये बात याद आती है मेरे आसूं नही रुक पाते .मै बहुत रोता हूँ ,रो तो मै आज भी रहा हूँ ,पर इस बात पर नही की मैंने अपना सबसे अच्छा दोस्त खो दिया जबकि इस बात पर  की मेरे दोस्त का प्यार अधुरा रह गया . मुझे आज अगर किसी की चिंता है तो उसकी माँ  की जिन्होंने अपना जवान बेटा  खो दिया ,मुझे आज अगर चिंता है तो संगीता की जिसके सामने पूरी जिन्दगी पड़ी हुई है ……..

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