शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

             जे .न .यु. का छोरा ,जिसने दिल सबका तोड़ा   
एक शाम जब मै जे.न.यु. के साबरमती ढाबे की ओर से गुजर रहा था तो मेरे कानो में कुछ आवाज पहुँच रही थी -  लाले लाले ,लाल सलाम ,जे.न. यु. की लाल मिट्टी को लाल सलाम – एक लड़की मर्दाने आवाज में उदघोष  कर रही थी और उसके आस पास खड़े लोग लाल सलाम ,लाल सलाम बोल कर उनका उत्साहवर्धन कर रहे थे .
                         पास जाने पर पता चला की वहां कुछ वामपंथी विचारधारा से प्रेरित छात्र­-छात्रा हरियाणा में हो रहे बलात्कार की बढ़ रही घटनाओ का विरोध कर रहे हैं.मुझे बहुत अच्छा लगा की जे.न.यु. में पढ़ने वाले छात्र ना सिर्फ राजनितिक बल्कि समाजिक रूप से भी बहुत जागरूक होते हैं .ना सिर्फ आस पास बल्कि पुरे दुनिया में हो रही गलत घटनाओ का यहाँ विरोध भी होता है.
                                             यह सब सोचते हुए मुझे एक भैया(मेरे दोस्त का भाई) की याद आने लगी जो की शायद 1998 या 1999 में जे.न.यु. स्नातक करने आये थे . उस समय मै बहुत छोटा था .पर इतना जरुर याद है की उनके पापा बहुत खुश थे .वे बहुत ही गर्व से कहते थे की उनका बेटा कटिहार (बिहार का एक जिला ) में पहला लड़का है जिसका चयन जे.न.यु. में चीनी भाषा सिखने के लिए हुआ है.उनका नाम सुमित(बदला हुआ नाम) है  और वो काफी प्रतिभाशाली हैं.
                                      उनके घर की आर्थिक स्तिथि उस समय से ही काफी खराब थी और आज भी कमोबेश ऐसी ही स्तिथि बनी हुई है. उनके पापा ये सोच कर काफी खुश थे की चलो बेटा का जे.न.यु. में चयन हो गया है तो घर की माली हालत सुधरेगी . उनके पापा किसी तरह उन्हें पैसा भेजते रहें ,हालांकि जे.न.यु. में फीस वेगैरह तो काफी कम है परन्तु इनके आलावा भी जो खर्च बाहर में रहने में होता है ,सुमित भैया के पापा वो भी काफी मुश्किल से भेज पाते थे.
                                          समय बीतता गया और मै भी बड़ा होता गया .अब मै चीजों को अच्छे  तरीके से समझने लगा था. 10 वी पास करने के बाद मै +२ करने की चाहत से दिल्ली गया .हालाँकि मैंने दिल्ली में एडमिशन नही लिया पर मुझे सुमित भैया के पास रहने और ज.न.यु. को जानने का मौका मिला,मैंने यहाँ अनुभव किया की सुमित भैया अब काफी बड़ी बड़ी बाते करते हैं ,बहुत सारी बाते तो मेरी समझ में नही आ रही थी . पर ये याद है की वो बार बार समाज को बदलने की बात कर रहे थे
                   ये सब देखकर मेरा भी मन जे.न.यु. में पढने को करने लगा .खासकर ज.न.यु. का खाना खा कर तो मै बहुत खुश था .क्युंकी इस से पहले मै  किशनगंज के हॉस्टल में रहता था  तो वहां का खाना इतना अच्छा नही था. मैंने सुमित भैया से जब जे.न,यु में पढने की बात कही तो वहां मौजूद उनके दोस्तों में से एक ने बोला - जे.न.यु. में पढना है तो जवानी की क़ुरबानी देनी पड़ेगी और घर को भूलना पड़ेगा .नही भी भूलना चाहोगे तो भी खुद बा खुद भूल जाओगे – उन्होंने बड़े ही रहस्यमयी मुस्कान के साथ हँसते हुआ कहा .
                                उसके बाद मै बोकारो चला गया और छुट्टियों में घर गया तो मेरे दोस्त ने बताया की सुमित भैया ने  नौकरी( दरअसल स्नातक करने के बाद सुमित भैया को अच्छी-  खासी नौकरी मिल गयी थी ) छोर दी  है और उन्होंने एम.ए समाजशास्त्र से करने का फैसला किया है .अब सुमित भैया सिविल सेवक बनना चाहते थे . उधर मेरे दोस्त की घर की स्तिथि दिनों दिन बिगडती जा रही थी . उनलोगों को पैसे की सख्त जरूरत थी. सुमित भैया के पिताजी ने सोचा देर से ही सही अगर "आइ. ए. एस" बन गया तो घर की स्तिथि जरुर सुधर जाएगी .
                                             समय बीतता गया और सुमित भैया के माता –पिता दोनों का स्वास्थ्य  खराब होने लगा  ,सुमित भैया की माँ गठिया और पिताजी मधुमेह और ब्लड प्रेशर से ग्रसित हो गये . इन सब चीजों को देखकर मेरा दोस्त घबरा गया और उसने शादी करने की फैसला किया  ताकि माँ के ऊपर से काम का बोझ कुछ कम हो सके . शादी  की तारिक निश्चित हो गयी और जब  सुमित भैया को फ़ोन किया गया तो, उन्होंने कहा मै घर नही आ पाउँगा ,एक महीने बाद मेरी  आई.ए .एस की परीक्षा है. मेरा दोस्त मुझे पकड़कर फूट फूट रोने लगा .वहीँ पास बैठी उसकी माँ भी जोर जोर से रोने लगी .उनकी माँ ने कहा सुमित के लिए हमने क्या –क्या नही किया ,पर न तो वो अब घर आता है और न ही हमारी बात मानता है . मुझे भी सुमित भैया पर बहुत  गुस्सा आया की आखिर वो किस समाज को बदलने की बात करते हैं जब उनके घर के लोग ही उनसे खुश नही हैं.
                                           जब मै बनारस में स्नातक द्वितीय वर्ष का छात्र था तो मै किसी काम से दिल्ली गया और सुमित भैया के पास जे.न .यु. में ठहरा .उस समय सुमित भैया की तबियत खराब चल रही थी .डॉक्टर के पास ले जाने पर पता चला उन्हें बहुत ज्यादा शराब पीने से टी.वी. हो गया है .मुझे बहुत आश्चर्य हुआ की क्या ये सचमुच वही सुमित भैया हैं .उस साल उनका सिविल सेवा में अंतिम अवसर  था और सुमित भैया ने अपनी पी.एच .डी. को रोक कर सिविल सेवा की  तैयारी  करनी शुरू कर दी  .
                                   वहीं दूसरी तरफ उनके पापा एक दिन खेतो में काम कर रहे थे और अचानक चल बसे .किसी तरह सुमित भैया घर आये और अपने पिता को मुखाग्नि दी .सुमित भैया इस बार पुरे तीन साल बाद घर आये थे .उनकी माँ ने कहा तू अब कहीं नही जायेगा ,यही कोई अच्छी सी लड़की देखकर तेरी शादी करा देंगे . कम से कम मरते वक़्त तेरा मुंह तो देख कर मरूंगी . तुम क्या समझोगी?? आज तक कुछ समझी हो जो अब समझोगी –सुमित भैया ने अपनी माँ को झिरकते हुआ कहा और दिल्ली का टिकट बनाने निकल पड़े
                         कुछ दिन बाद सिविल सेवा का रिजल्ट आ गया और सुमित भैया का चयन नही हो पाया .लगभग २ महीने तक  उनका फ़ोन बंद रहा .इधर इनकी माँ का रो रो कर बुरा हाल हो गया था की कही सुमित ने कुछ अनहोनी तो नही कर ली .इसलिए मेरा दोस्त जे.न.यु. गया,उसने मुझसे उनका रूम न. और हॉस्टल  पुछ लिया  था . जैसे ही वह अपने भाई के रूम  पंहुचा तो उसने देखा एक लड़की उनके बेड पर बैठी हैं. कुछ देर बाद वो चली गयी तो मेरे दोस्त ने पूछा की वो कौन थी .सुमित भैया ने झिरकते हुआ जवाब दिया की तुम्हे इससे क्या मतलब ? तुम जाओ अपने बीवी के पल्लू में छुपे रहो .तुम्हे शर्म नही आती की तुमने मेरे से पहले कैसे शादी कर ली ??? इस पर जब मेरे दोस्त ने कहा इसमें तम्हारी भी सहमती थी और शर्म तो तुम्हे आनी चाहिए की वहां घर में माँ तम्हारा राह देख रही है और यहाँ तुम मस्ती कर रहे हो.इस बात पे सुमित भैया ने उसे थप्पर मार दिया .
                                     मेरा दोस्त बमुश्किल से वहां एक दिन और रह पाया और घर चला गया .मेरा चयन संयोग से आई.आई.एम .सी. में दो-दो साक्षात्कारों के लिया हो गया और मै सुमित भैया के पास साक्षात्कार से पांच दिन पहले  ज.न.यु. आ गया . सोचा कुछ मार्गदर्शन भी मिल जायेगा .बात होने के दौरान उन्होंने बताया की वो पी .एच.डी  पूरी करके सक्रिय राजनीति मे  भाग लेंगे .मैंने कहा भैया मेरा मन भी  आई .ए एस .बनने  को करता है . इस पर उन्होंने कहा की आई .ए .एस कभी नही बनना.ये लोग सिर्फ नेताओ का तलवा चाटते हैं,मेरे लगभग सभी आइ.ए एस  दोस्त यही कर रहे है. इसपर मैंने मन ही मन में सोचा जब आपको इतना पता ही था तो इसकी तैयारी हीं क्यों कर रहे थे? क्यों इतने पैसे बर्बाद किये ?आपके पिताजी तो यही राह देखते देखते स्वर्ग सिधार गये की मेरा बेटा आई.ए.एस बनेगा .पर मै कुछ नही बोल पाया .
                      आइ आइ एम सी में पहले साक्षात्कार के ठीक एक दिन पहले मेरी उनसे कुछ बातो पर बहस हो गयी.बात ये थी की वो कैसी राजनीति करेंगे ये बता रहे थे ,उनकी बातो से मुझे घोर आपत्ति थी .वे कह रहे थे की कटिहार की जनता बहुत भोली है वहां जाऊंगा और निर्दलिये  से चुनाव लडूंगा. चुनाव से ठीक पहले लोगो के बीच जाऊंगा और ढेर सारे पैसे ,दारु बाटूंगा ,और चुनाव जीत जाऊंगा .मेरे पास डिग्री ही इतनी है की लोग मुझे तुरंत वोट दे देंगे . इसपर मैंने कहा आप अपनी सारी  डिग्री जला दीजिये ,ये किसी काम का नही है. उन्होंने मुझे कहा तुम अभी भी बेवकूफ हो और दुनियादारी नही समझते हो . तो फिर मैंने इतराते हुआ कहा अगर मै  बेवकूफ होता  तो मेरा आई.आई.एम.सी में कभी चयन नहीं होता और मै अगले दिन आई आई एम सी साक्षात्कार देने पहुंचा और दुबारा फिर कभी सुमित भैया के पास नही गया  .........
              तो दोस्तों कैसी लगी ये कहानी ???? कई बार हमारे जीवन में ऐसे आदमी मिलते हैं जो बाते तो काफी बड़ी बड़ी करते हैं मगर वो अन्दर से खोखले होते हैं .जब आप उनकी जिंदगी को करीब से देखेंगे तो सच्चाई मालूम पड़ती है .अक्सर समाजवाद, वामपंथ. हिन्दूरास्त्र  की बड़ी बड़ी बाते करने वाले लोग बड़े बड़े मॉलो और पबो में तथा विदेशी समान खरीदते आपको दिख जायेंगे.
                                मेरी इस कहानी में भले ही मुख्य किरदार सुमित भैया थे परन्तु मुख्य हीरो मेरा दोस्त ही था जो भले ज्यादा पढ़ा  लिखा नही था परन्तु अच्छे और बुरे की समझ  उसे उसके भाई से ज्यादा थी.  समाज के लिए कम पढ़ा लिखा या निरक्षर आदमी से ज्यादा खतरनाक है  "पढ़ा लिखा मूर्ख" . मेरे ख्याल से सुमित भैया ना ही अपने परिवार के हो सके और ना ही समाज के .इधर सुना है की सुमित भैया प्रोफेसर बन गए हैं बहुत सारी  शुभकामनाये हैं उनको .. परन्तु अब देखना ये है की वह अपने विद्यार्थी को समाज बदलने की कैसी शिक्षा देते हैं. 
    धन्यवाद .................
    राहुल आनंद

1 टिप्पणी:

  1. It's really a inspiring story and everyone should take a lesson from it. I know only one thing that if anyone is not of his parents then he could not be of anyone and then u can't expect anything from that person.You can say that he/she is a selfish person and only thinks about himself.Salute to his parents and his younger brother who at least know what is right or wrong who is not well educated than his elder son and brother respectively.Well done Rahul,Keep writing like this and wishing that you will surely get what you want to be in life.

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