बदलते
बिहार मे बदलते नितीश
क्या बिहार मे
सचमुच विकास हुआ है ??? क्या बिहार सचमुच
विकसित राज्य बनने की और अग्रसर है??? ये ऐसे प्रश्न हैं जो नितीश कुमार के सत्ता
मे आने के बाद लगातार बिहार और बिहार से बाहर चर्चा का विषय है
अभी बिहार मे हो
रहे हाल की घटनाओ पर नजर डाले तो ये साफ़ दीखता है की नितीश कुमार की शाख गिरी है. अब
ये भी सवाल उठता है की क्या ये विपक्ष की कोई चाल है या सच मे नितीश कुमार अब
बिहार मे लोकप्रिय नही रहें . यहाँ ये चर्चा करने की जरूरत है की नितीश कुमार किन
हालातो मे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने , बिहार की जनता लालू और उसके परिवार
के सदस्यों की मनमानी से तंग आ गयी थी , चारो तरफ आराजकता का माहौल बन गया था . १५
सालो मे लालू यादव ने बिहार को कोमा की स्थिती ला कर खड़ा कर दिया .
यादवो और पिछरी जातियों के लोगो का ये तर्क था की लालू यादव ने हमे बोलने
के लिया आवाज दिया है ,हमे ताक़त दी है की हम सवर्णों और ताक़तवर लोगो का विरूद्ध
आवाज उठा सके. परन्तु क्या इसी बिनाह पर
कोई १५ साल तक शासन कर सकता है??? ९० के दशक मे अपहरण एक उद्योग के रूप मे स्थापित
हो चूका था और बहुत सारे बाहुबली अपनी मनमानी कर रहे थे ..
ऐसे मे जब नितीश
कुमार एक विकल्प के रूप मे उभरे तो बिहार
की जनता ने उन्हें खुल कर वोट दिया . खासकर लालू यादव के मुख्य वोट बैंक यादव और मुस्लिम ने भी नितीश कुमार को वोट दिया
.सत्ता मे आने के बाद नितीश कुमार ने बहुत तेजी से काम भी किया , खासकर उन्होंने
बिहार के कानून व्यवस्था को अपने शाषण के
शुरुवाती दिनों मे ही बहुत हद तक सुधार दिया .५ महीने के अन्दर लगभग सभी बाहुबली
जेल के अन्दर थे परन्तु मोकामा विधायक अनंत सिंह पर कोई करवाई न होना उनकी
सत्यनिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है ....
बिहार मे जिस तेजी रोड बनायीं गयी उतनी तेजी से पहले कभी नही बनाई गयी थी
,नितीश कुमार का ये वादा की सड़के इस तरह की बनेगी की चाहे आप बिहार की किसी भी कौने मे हो पटना ७ घंटे के अन्दर पहुच जायेगे ,७ घंटे के
अन्दर तो नही लेकिन सड़के पहले से काफी अच्छी हुई हैं,इसमें कोई शक नही है .. साइकिलो से
स्कूल जाती लडकियां बिहार की पहचान बन गयी.......
तो ऐसे मे ये
प्रश्न उठना लाज़िमी है की आखिर नितीश
कुमार से गलती हुई कहाँ???? क्या उनका मीडिया मैनेजमेंट गलत हो गया या उनकी सोशल
इंजीनियरिंग को लकवा मार गया.
कारणों को खोज
करने की कोशिश पर पता चलता है की नितीश कुमार ने खुद अपने ही पैर पर कुल्हारी मारी है .पहले चरण मे ऐसे
शिक्षको की नियुक्ति करना जो सिर्फ इंटर पास हैं और जिनके पास कुल प्रतिशत आधिक है
,नितीश कुमार की बहुत बड़ी भूल थी , जिस
लालू के शाषण की बुराई करते नितीश
कुमार नही थकते थे वे ये कैसे भूल गए की उस समय बिहार मे प्रतिशत
कैसे लाये जाते थे , अगर उस तरह के शिक्षक बच्चों को पढ़ाएंगे तो शिक्षा का स्तर
तो गर्त मे जाएगा ही . हाल के अधिकार यात्रा के दौरान इन्ही शिक्षको ने नितीश
कुमार का बिहार के विभिन्न जिलो मे विरोध किया .जिसका पूरा फायदा लालू और रामबिलास
पासवान ने उठाया ,ऐसे ही मुद्दों के ताक
मे ये दोनों न जाने कितने दिनों से मुह बाये खड़े थे .
यहाँ बड़ा सवाल ये
है की नियोजित शिक्षक न ही परीक्षा मे बैठना चाहते हैं न ही उनके पास उच्चतर
डिग्री है तो वे किस आधार पर स्थायी शिक्षको के जैसी सुविधायो और वेतन की मांग कर
रहे हैं ??? इस परिस्थिति मे नितीश कुमार का नियोजित शिक्षको के प्रति कड़ा रुख ने
आग मे घी डालने का काम किया है ...
जिस मिडिया को उन्होंने इतने दिनों तक मैनेज कर के रखा था आज वही मिडिया
उनके खिलाफ आग क्यों उगल रहा है ,क्या बिहार मे मिडिया को सत्ता परिवर्तन होने की बू मिल गयी है
या सच मे मिडिया निष्पक्ष होना चाहती है ????
दूसरा कारण वह नरेन्द्र मोदी का गुजरात दंगो को लेकर विरोध करते हैं ,
लेकिन जब वे रेल मंत्री थे और गुजरात दंगे भड़के थे तो उस समय नेतिकता के आधार पर
इस्तीफ़ा क्यों नही दिया .. और जब वे मुख्यमंत्री बन गए तो सेकुलर होने का ढोंग
करने लगे , इस से भाजपा मे भी उनके खिलाफ विरोध के स्वर उभरने लगे हैं .
नितीश कुमार चारो तरफ से चाटुकारों से घिर गए
हैं ,उन्हें ये पता ही नही चल पाता की
जनता मे उसके खिलाफ कहाँ और क्यों विरोध है ??? दूसरी तरफ विधानसभा मे विपक्ष की
न्यूनतम संख्या ने भी नितीश कुमार को आत्मविमुघता की स्थिती मे ला खड़ा किया है .
ऐसे मे चारो तरफ समस्याओ से घिरे
नितीश कुमार की अब वास्तविक परीक्षा शुरू होती है , लालू यादव के खराब शाषण का
सीधा लाभ नितीश कुमार को मिला , बिहार की जनता ने बिजली देखी,अच्छी सड़के देखी
,बेटियाँ घेरो से निकलकर बाहर पड़ने को निकली . नितीश कुमार ने विकास का पैमाना तय किया ,किन्तु अब नितीश कुमार के
सामने लगातार विकास करने की चुनौती है,लोगो की आकांक्षाओं पर खड़े होने की
चुनौती है . नितीश कुमार को ये हमेशा याद रखना चाहिए की बिहार की जनता बड़े बड़े
सत्ता परिवर्तन करने का आदि रही है ...........
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