सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

A long walk to coffee house

नयी दिल्ली ,८ अक्टूबर ,    ९ प्रधानमंत्री ,२ राष्ट्रपति ,२ उप राष्ट्रपति और ३४ मुख्यमंत्री का गवाह रह चुकी कॉफ़ी हाउस की संस्कृति काफी अनूठी है

                                                           दिल्ली के दिल कनाट प्लेस के मोहन सिंह प्लेस मे अवस्थित कॉफ़ी हाउस २७ अक्टूबर १९५७ से लोगो की चर्चाओ का केंद्र बना हुआ है . यह इंडियन कॉफ़ी वोर्केर्स कॉपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड द्वारा संचालित होता है

                                                            देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ,लालबहादुर शास्त्री ,इन्द्रा गाँधी ,राजीव गाँधी ,आई के गुजराल , वी पी सिंह ,चन्द्र शेखर ,नरसिम्हा राव ,अटल बिहारी वाजपेयी अपने राजनितिक जीवन के शुरुआत से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक यहाँ आते रहे .

                                                                     

                                                       "कॉफ़ी हाउस के मेनेजर श्री  जनक राज "

                                                           
                                                             १९७२ से कॉफ़ी हाउस के मेनेजर जनक राज अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते है की खालसा कॉलेज की स्थापना पर उन्होंने इंदिरा गाँधी को कॉफ़ी पिलाई थी . जनक राज बताते है की यहाँ समाज का संभ्रांत वर्ग भी आता है तो वही दूसरी ओर मध्यवर्गीय परिवार भी यहाँ आनंद उठाता दिख जाता है , उन्होंने बताया की १९९५ के आस पास वित्तीय संकट के कारण यह बंद होने के कगार पर पहुच गया था परन्तु सामाजिक कार्यकर्ताओ के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो पाया. कॉफ़ी हाउस की दयनीय अवस्था के लिए बहुत हद तक सरकार को जिम्मेदार मानते है . वे कॉफ़ी हाउस की लिस्ट की तरफ इशारा करते हुए कहते  है की इतने कम दामों मे इसे चला पाने मे  काफी मुश्किले आती है, जिस कारण यहाँ के २२ कर्मचारी को काफी कम वेतन मिल पता है .


                                                          " कॉफ़ी हाउस की मूल्य सूचिका"
                                                                                                                                                                                 
                                                              १९६८ से लगातार कॉफ़ी हॉउस आ रहे व्यापारी दिनेश कुमार शर्मा बताते हैं की अब कॉफ़ी हॉउस मे सम्मानित व्यक्ति आने से कतराते हैं , क्योंकि यहाँ का स्तर लगातार गिर रहा है . शर्मा जी बताते हैं की यहाँ अब साफ़ सफाई का आभाव है ओर सरकार द्वारा पर्याप्त सुविधाएँ देने के बाद भी ये लोग लगातार मूल्य बढ़ाते जा रहे हैं.

                                                       वही कॉफ़ी हाउस के बहार अपने दोस्तों के साथ बेठे उमेश मेहता ने बताया की वे यहाँ १९७० से आ रहे है .उन्होंने बताया की अब यहाँ राजनीति ओर साहित्य की बाते कम होती है ओर फिल्मो की जयादा होती है. मेहता साहब बताते है की कॉफ़ी हाउस उनकी संस्कृति का हिस्सा हो गया है .

                                                         कॉफ़ी हाउस के बाहर बैठे   कुछ युवा पूछने पे बताते है की वे यहाँ शांति के मकसद से आते है तथा यहाँ  कम दाम मे साउथ इंडियन डिश का लुफ्त उठाते है .

                                                          कॉफ़ी हाउस के इतिहास मे सुनहरा  दिन तब आया जब २००७ मे  टाइम्स  मैगज़ीन ने इसे एशिया की टॉप फ़ूड पॉइंट मै जगह दी . 

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