सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

जलता तिब्बत जलते लोग


नयी दिल्ली , १५ अक्टुबर. जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में १३ अक्टुबर को तिब्बतियों के समर्थन में शांतिपूर्ण  केंडल मार्च निकला गया . इसमें ज्यादातर तिब्बत ,साउथ कोरिया और  नेपाली मूल के लोग शामिल  थे . तिब्बती नागरिक लगातर चाइना के खिलाफ अपने विरोध किसी न किसी रूप में  रहते दर्शाते  हैं . उसी की एक कड़ी जे.न .वि  में देखने को मिली .
                  
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                     “आत्मदाह किये हुए तिब्बती युवको  की तस्वीर”
  एक तिब्बती नागरिक “किनले शेरिंग” ने बातचीत के दौरान   बताया की तिब्बत को आजाद करवाने की कोशिश में बहुत सारे युवाओं ने आत्मदाह किया और लगातार कर रहे हैं . उन्होंने कहा इसके बाद भी चाइना सरकार की  कान में जूं तक नही रेंगा .किनले ने एक पत्र दिखाते हुआ कहा की वे लोग इस पत्र को तिब्बतियों की तरफ से संयुक्त रास्त्र संघ के सचिव ‘बान की मून ’ को भेजने वाले हैं . उन्होंने बताया की इस पत्र के माध्यम से वे लोग बताना दुनिया को बताना चाहते हैं की किस तरह चाइना ने बीते छह दशक  से तिब्बत का हर प्रकार से दोहन किया है .चाइना सरकार ने न सिर्फ तिब्बत के प्राकृतिक संसाधन का दोहन किया है बल्कि वहां के लोगो के साथ काफी अत्याचार किया है.
    पत्र के अनुसार  वर्ष २००८ में चाइना रक्षा बल के जवानों ने तिब्बतियों के साथ काफी सख्ती से करवाई की . शेरिंग बताते हैं उसके बाद से स्थिति लगातार बदतर होती गयी , लोगो ने विरोध स्वरूप आत्मदाह करने का तरीका अपनाया है. इस हिंसात्मक तरीके के बारे में पूछने पर किनले बताते हैं की पूरी दुनिया तक अपनी बात बताने का इस के सिवाय हमारे पास और कोई दूसरा रास्ता नही था .
किनले ने पत्र की ओर इशारा करते हुआ बताया की हम संयुक्त रास्त्र से ये अपील करते हैं की एक निष्पक्ष जाँच एजेंसी को जल्दी तिब्बत भेजा जाये ताकि वहां की सच्चाई पूरी दुनिया के सामने आ सके . किनले ने बताया की हम ‘ फ्लेम ऑफ़ ट्रुथ’  कार्यकर्म चला रहे हैं जिसके अंतर्गत हम दुनिया भर  से हस्ताक्षर  एकत्रित कर रहे हैं और दुनिया भर से अपने लिए समर्थन जूता रहे हैं.
पास में ही एक लड़की बार बार बात करने की कोशीश  कर रही थी , पूछने पर उसने बताया की वह साउथ कोरिया से है और तिब्बतियों का समर्थन कर रही है . हालाँकि वह ठीक से इंग्लिश नही बोल पा  रही थी लेकिन फिर भी  मसले पर चाइना के खिलाफ उसका विरोध स्पष्ट समझ में आ रहा था .
       इधर जे’.नि .वि. में आत्मदाह किये हुआ युवको को शर्धांजलि दी जा रही थी वही दुसरे दिन “‘तेम्द्रिन दोरजी” नामक तिब्बतियों की अधिकार की लडाई लड़ने वाले युवक ने चाइना में ही आत्मदाह कर लिया . हैरानी की बात यह है की इस के बाद भी चाइना सरकार दलाई लामा पे दोष मड़ते जा रही है.


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