बुधवार, 3 अप्रैल 2013

गोरैये की आत्मकथा ....

                 गोरैये की आत्मकथा
मुझे भूल तो नहीं गये ??अरे,भूल भी जाओगे तो मुझे कोई आश्चर्य ना होगा . तुम मानव होते ही इतने निष्ठुर हो .हम प्राणियों में तुम सबसे ज्यादा मोह माया का ढोंग करते हो. तो कहाँ गयी थी तुम्हारी वो मोह माया,जब तुमने हमें विलुप्ती के कगार पर पहुंचा दिया ? कहाँ गयी थी तुम्हारी वो मोह माया जब तुमने मुझे दुर्लभतम प्राणी की श्रेणी में पहुंचा दिया? तुम्हें याद न आयेगा ,मै खुद याद  दिलाती हूँ. मै गोरैया हूँ, तुम्हारे हर सुख-दुःख में साथ रहने वाली ,छोटी सी पक्षी .
                      
                          मै सदियों से मानव के आस –पास रहने वाली आम पक्षी थी .मैंने सदियों से तुम्हारी मदद कि है. 19वी शताब्दी में जब तुम मुझे दोस्त कि तरह मेडिटेरियन से एशिया और यूरोप लाये थे ,तो मैंने तुम्हारे बागों से तुम्हारे वृक्षों में पैदा होने वाले हानिकारक कीटो को ख़त्म करने में तुम्हारी मदद की थी .मै पूरी दुनिया में फैलने वाली सबसे बड़ी प्रजाति थी .और आज शहरों को तो छोड़ दो,मै गावों से भी विलुप्त होने के कगार पर हूँ.इसका यही मतलब है कि इस आधुनिकीकरण के दौर में तुम हमारे  ,और हमारे जैसे कई जीवो  की उपेक्षा लगातार करते आ रहे हो .   
                         कुछ दशक पहले ,जब छोटे-छोटे गाँव हुआ करते थे,और उसके पास बड़े –बड़े खेत-खलिहान हुआ करते थे ,तो हमे आसानी से इन खेत –खलिहान में हमारे लिए किट-पतंग मिल जाते थे .परन्तु उसके बाद तुम्हारी आबादी बढती चली गयी ,इट-पत्थर से बने कंक्रीट के घर बढ़ते गये ,और तुम्हारे खेत-खलिहान दिनों दिन छोटे होते चले गये .अब तुम्हारी जरूरते बढ़ी,तुम्हे इतने ही जमीन में अधिक पैदावार कि आवश्यकता जान पड़ी. तुम्हे अपनी जीने की फ़िक्र थी ,इसलिए तुमने अधिक पैदावार बढ़ाने के लिये ,खेतों में हानिकारक खाद डाले .इससे तुम पैदावार बढ़ा पाने में तो सफल हो गये ,लेकिन तुमने इससे खेतों के साथ साथ पर्यावरण को भी दूषित किया . जिसका नतीजा तुम जुगारू जानवर को तो बाद में भुगतना पड़ेगा ,पर इसके तत्काल हानिकारक प्रभाव से हम ना बच पाये .
                          इतने में भी तुम्हारा मन नहीं भरा तो तुमने हमारे उन फलदार वृक्षों को काट दिया ,जहाँ हम हमारे बच्चों के साथ घोसला बना कर रहते थे. फैक्टरियों से लाखो मेट्रिक टन जहरीला धुआं निकाल कर तुमने तत्काल तो हमारी जिन्दगी पर प्रश्न चिह्न लगा दिया .पर अगर यही हाल रहा तो भविष्य में तुमपर भी ऐसा ही प्रश्नचिह्न लगेगा ,और तुम लाख जतन करके भी अपने आप को नहीं बचा पाओगे .हमे तुम्हारी चिंता है ,क्योंकि हमारा-तुम्हारा सदियों का साथ रहा है ,हम तुम्हारी तरह इतने मतलबी भी नहीं हैं,कि सिर्फ अपने जीवन के बारे में सोचे .
           अरे ,तुम तो इतने बेरहम हो कि तुमने तो हमारी समूल नाश की योजना तक बना डाली है .जब तुम्हारा खेतों और वायु को प्रदूषित करने के बाद भी मन नहीं भरा तो तुमने मोबाईल टावर लगा दिए. महज सिर्फ अपनी सुविधा के लिए ,तुमने हमारे बारे में एक बार भी नहीं सोचा . हाल फिलहाल यही मोबाईल रेडिएशन हमारी जान का सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है .पहले ये मोबाईल टावर गाँव तक नहीं पहुंचे थे तो हम कम से कम गाँवों में सुरक्षित थे ,पर तुमने गावों में भी टावर बैठा कर ,हमारी रही सही उम्मीद भी तोड़ दिया  .
                           हम जानते हैं,कुछ दिनों में हम इस दुनिया के लिए इतिहास बनने वाले हैं ,हमें तब किताबों में पढ़ा जायेगा और कहा जायेगा एक था गोरैया.  पर हम नहीं चाहते की कुछ दिनों बाद तुम मानव भी हमारी ही तरह इतिहास बन जाओ .जब प्रकृति अपना कहर ढायेगी ,तब तुम्हारी सारी बुद्धिमत्ता हवा हो जायेगी .इसका उदहारण बड़े बड़े भूकंप ,सुनामी और अन्य कई भीषण प्राकृतिक आपदा से प्रकृति दे भी रही है . इस सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी का दंभ भरने वाले मानव,तुम तो खुद प्रकृति का असीमित दोहन करके अपने लिए कब्र तैयार कर रहे हो . तुम ये क्यों भूल जाते हो कि प्रकृति ने ये सृष्टि सिर्फ तुम मानवों के लिए नहीं बनायी थी,यहाँ सभी जीवों को रहने का समान अधिकार था ,अगर तुम हम जीवों को हमारे अधिकारों से वंचित करोगे तो एक दिन सृष्टि भी तुम्हें तुम्हारे अधिकारों से वंचित कर देगा .
राहुल आनंद  

1 टिप्पणी:

  1. राहुल बाबू , आपका ये गौरैया वाला ब्लॉग लेट पढ़ा । लेकिन पढ़कर बहुत अच्छा लगा और सोचने पर मजबूर कर दिया । वास्तव में हमें अपने प्रकृति और वातावरण के बारे में सचेत होने की जरुरत है ।

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