गुरुवार, 24 जनवरी 2013

एकपक्षीय विरोध ....


दिल्ली में चलती बस में लड़की के साथ जिस अमानवीय तरीके से बलात्कार हुआ,उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाये वो कम है .यह सचमुच मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है.युवाओं में इसका व्यापक विरोध देखने को मिल रहा है .दिल्ली के युवाओं में इस घटना के प्रति खासा रोष देखा जा सकता है . लोग सडको पर उतर आये हैं और व्यापक विरोध कर रहे हैं .
                          परन्तु यहाँ एक बात गौर करने वाली है की आखिर इस घटना को इतनी तवज्जो क्यों  मिली ?? क्या यह कारण हो सकता है की इस घटना को काफी अमानवीय तरीके से अंजाम दिया गया था इसलिए इसका व्यापक विरोध हो रहा है . अगर गौर करे तो भारत में बलात्कार करके क़त्ल कर देना नई घटना नहीं है .कई बार तो बलात्कार करके काफी बुरी तरीके से लड़कियों को मार डाला जाता है .कई उदाहरण ऐसे हैं जिनका वर्णन भी नही किया जा सकता .
                              दूसरा कारण यह भी हो सकता है की यह घटना दिल्ली की है ,और चूंकि  दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है तो लोग  इस घटना को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं .पर दिल्ली में इस तरह की घटनायें  पहले भी हो चुकी है तो उस समय इन वीभत्स घटनाओं का इतना व्यापक विरोध क्यों नही हुआ ??
                            तीसरा कारण यह भी हो सकता है की मीडिया ने इस घटना को ज्यादा गंभीरता से लिया .या यूँ कहे तो मीडिया ने भी घटना दिल्ली में होने के कारण इसे व्यापक कवरेज दी .घटना के बाद से अगर गौर किया जाये तो भारतीय मीडिया ने इस घटना को लगातार टी.वी. ,अखबारों के माध्यम से हमे अब तक इस घटना से जोड़े रखा है .हमेशा  अपनी टी.आर.पी. बढ़ाने के चक्कर में रहने वाली टी.वी . मीडिया से क्या ये उम्मीद की जा सकती है की वे इस मामले को लेकर सचमुच गंभीर हैं ???
                             दोस्तों हमारे सामने सवाल तो बहुत हैं ,पर उसका हल उतना ही कम है . कारण चाहे जो भी रहा हो ,पर इस विरोध को नकारा नहीं जा सकता है .यह विरोध जायज भी है  और जरूरी भी  है . परन्तु सच में विरोध करने वाले बहुत ही कम लोग हैं ,जिन्हें सच में इस घटना से गहरा आघात पंहुचा है .इंडिया गेट में पहुचने वाले अधिसंख्यक युवा सिर्फ मौज-मस्ती करने के उद्देश्य से वहां एकत्रित हुए हैं या हो रहे हैं. मौज मस्ती के उद्देश्य से ही सही पर यह भीड़ सरकार को बार बार सोचने के लिए जरुर मजबूर कर रही है . इसी बहाने कई पार्टी और संघटन अपनी बैनर चमकाने में लगे हुए हैं,मानो ऐसा लगता है उन्हें इस तरह की घटनाओं का बहुत दिनों से इन्तजार था .
                       पर मेरा दिल जो बार –बार बेचैन हो रहा है ये सोच कर की बलात्कार सम्बन्धी  सभी घटनाओं का इतना व्यापक विरोध क्यों नहीं होता ??? क्यों हम विरोध करने के लिए  बलात्कार की अमानवीयता और जघन्यता का इन्तजार करते है ?? दिल्ली वाली घटना के आस-पास हीं सहरसा (बिहार का एक जिला) में  एक ८ वर्षीय  दलित लड़की की बलात्कार कर हत्या कर दी  गयी .पर इस घटना का व्यापक विरोध क्यों नही हुआ ???आखिर इस घटना पर आंदोलनकारी और मीडिया को क्यों सांप सूंघ गया ??? इस घटना पर कहाँ चली गयी लोगो की संवेदनशीलता ???
                   क्या उस ८ वर्षीय लड़की के साथ हुए घटना का कोई मोल नहीं है ??? साफ़ पता चलता है की मीडिया को इस घटना को उठाने से कोई ख़ास फायदा नही होता,इसलिए उन्होंने इस मामले को नहीं उठाया  ,दूसरी और जनता का हमदर्द बनने का ढोंग करने वाली पार्टियां भी जानती थी की इस घटना को उठाने से उन्हें कोई ख़ास फायदा नहीं होने वाला हैं .इन सब चीजों को देखने और समझने के बाद लगने लगता है की ये प्रदर्शन भी एकपक्षीय है ये प्रदर्शन भी ग्लेमराइज्ड (चका-चौंध) वाला है. वरना भारत जैसे देश जहाँ हर २२ मिनट में एक बलात्कार होता है वहां अगर हर बलात्कार का इतने हीं जोरदार तरीके से विरोध किया जाता तो हो सकता था बहुत सारी लड़कियों की अस्मत न लुटी गयी होती या बहुत सारी लडकियां बेवजह हवस का शिकार होके मार नहीं डाली गयी होती .....  

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